रामशरण वैष्णव और लता खापर्डे

कहां डोंगरगांव से लगे छोटे से गांव कोहका का नाचा कलाकार और कहां आमिर खान प्रोडक्शन की महत्वाकांक्षी फिल्म में चरित्र निभाने का अवसर। लेकिन भरकापारा में गुमनाम से रहने वाले रामशरण वैष्णव ने इस कहां को हां में बदल दिया। नाट्य विधा के पितामह हबीब तनवीर से जुड़े रहे रामशरण द फालिंग में पुलिस कर्मी की भूमिका निभा रहे हैं, फिल्म में उनके साथ राजनांदगांव की ही लता खापर्डे भी हैं। ग्लोबलाइज होते इंडियन सिनेमा को आधार में रख कर बनाई गई इस मूवी को अमेरिका सहित लगभग 13 देशों में विशेष प्रदर्शन के लिए चुना गया है। रामशरण ने द फालिंग के लिए मुंबई जाकर सुपर स्टार आमिर खान के आफिस में स्क्रीन टेस्ट दिया और पहली बार में ही चुने गए। लता के साथ भी ऐसा हुआ। दोनों मूलत: थिएटर आर्टिस्ट हैं और संगीत, अभिनय से निर्देशन तक का सारा जिम्मा मिलकर संभालते हैं। प्रसिद्ध लोक सांस्कृतिक मंच चंदैनी गोंदा का हिस्सा रहे रामशरण और लता ने 1998 में अलग होकर गोदना की स्थापना की। रामशरण वैष्णव द्वारा संचालित गोदना संभवत: प्रदेश का पहला संगीत नाट्य अकादमी दिल्ली से मान्यता प्राप्त थिएटर ग्रुप है।
इसने 2007 प्रसिद्ध रामचंद्र देशमुख अवार्ड हासिल कर अपनी प्रतिष्ठा कायम की थी। रामशरण अपने नाट्य मंच के साथ पिछले 12 सालों में पूरा देश घूमकर 500 से अधिक प्ले प्रस्तुत कर चुके हैं। रामशरण और लता ने हबीब तनवीर के साथ जर्मनी और रूस में भी लोक कला पर आधारित प्रस्तुतियां दी हैं। दोनों सालभर थिएटर में ही व्यस्त रहते हैं, पिछले नवंबर उन्होंने शशि कपूर की बेटी संजना कपूर के बुलावे पर ऐतिहासिक पृथ्वी थिएटर जाकर तीन प्ले पेश किए थे और इस महीने दो दिनों पहले कोलकाता के नंदीकार थिएटर फेस्टिवल से तालियां बटोरकर लौटे हैं।
कोहका गांव से मुंबई तक
कोहका में पैदा हुए रामशरण कलाकारों के परिवार से हैं, पिता बिहारी दास वैष्णव स्वयं अच्छे गायक और संगीतकार थे, हालांकि बड़े स्तर पर उन्हें मौका नहीं मिला। रामशरण ने आठवीं की पढ़ाई करते हुए गांव की नाचा पार्टी में ढोलक बजाकर अपनी शुरुआत की। तीन साल बाद उन्हें प्रसिद्ध कलाकार दीपक चंद्राकर के लोक प्रहसन गम्मतिहा में अभिनय का मौका मिला। इसी क्रम को जारी रखने उन्होंने संगीत विवि खैरागढ़ से बीए आनर्स (तबला वादन) किया। उनकी तरह लता खापर्डे भी लोक गायिका और अभिनेत्री हैं, उन्होंने कत्थक में बीए आनर्स किया है। दोनों प्रदेश में नाटच्य अकादमी न होने से निराश हैं, जबकि देश के तकरीबन सभी राज्यों में यह सुविधा है। उन्हें राज्य सरकार से प्रोत्साहन के रूप में नाटच्य अकादमी की स्थापना की उम्मीद है, जो स्थानीय कलाकारों के लिए बेहतर कल साबित होगा।


सामाग्री साभार : समाचार पत्र भास्‍कर